सम्भाषणम्:महासुभाषितसंग्रह ०००१-१०००

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बृहदारण्यकोपनिषद यह उपनिषद शुक्ल यजुर्वेद की काण्व-शाखा के अन्तर्गत आता है। 'बृहत' (बड़ा) और 'आरण्यक'